Solah Somvar Vrat Katha Vidhi Udyapan | सोलह सोमवार व्रत कथा, विधि, उद्यापन, ऐतिहासिक महत्व, मान्यता एवं व्रत करने से लाभI | Great 16 Somvar.

Solah Somvar Vrat Katha 16 Somvar Vrat katha Somvar Ki Vrat Katha monday vrat katha shiv vrat katha हिंदू धर्म में अनेकों व्रत पूजा-पाठ त्योहार मनाए जाते हैं। इन सब के पीछे कोई ना कोई कारण जरूर पाया जाता है। श्रद्धालु अपनी श्रद्धा के अनुसार पूजा, पाठ व्रत का अनुसरण करते हैं।और पुण्य कमाते हैं। सावन का महीना अत्यंत शुभ माना जाता है और यह महीना भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है।

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इसीलिए सावन के महीने में सोमवार तथा सोलह सोमवार का व्रत करना अत्यंत शुभ माना जाता है। अखंड सौभाग्य के लिए सावन के महीने में किया जाने वाला सोलह सोमवार का व्रत अत्यंत शुभ एवं फलदाई है। तो चलिए आज हम इसी टॉपिक पर बात करते हैं। कि सोलह सोमवार का व्रत किस प्रकार रखकर संपूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण की जा सकती है।

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सोलह सोमवार व्रत विधि, ऐतिहासिक महत्व, मान्यता एवं व्रत करने से लाभI — Shravan Month Ka Mahatva.

भगवान शिव जी की विशेष कृपा की प्राप्ति और समस्त मनोकामनाएं की पूर्ति के लिए सोलह सोमवार का व्रत किया जाता है। यदि किसी को भी सोलह सोमवार का व्रत शुरू करना है तो इसे श्रावण मास से शुरू करना सबसे ज्यादा लाभकारी सिद्ध होता है। सोलह सोमवार व्रत करते समय भगवान शिव और माता पार्वती जी की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है और सोलह सोमवार में एक ही शिवलिंग की पूजा की जाती हैI

यही कारण है कि इस व्रत को करते समय आप घर पर ही शिव जी की मूर्ति रख कर पूजा करें और बाहर जाते समय भी इसे आप अपने साथ ले जा सकें।सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। ऐसा माना जाता है पार्वती ने युवावस्था के सावन मास में निराहार रहकर कठोर व्रत किया और भगवान शंकर को प्रसन्न कर विवाह कियाI

जिसके बाद से ही महादेव के लिए सावन का महीना विशेष प्रिय हो गया। इस माह पूर्णमा के दिन श्रवण नक्षत्र विद्दमान रहता है। इसी कारण इस माह का नाम सावन पड़ा। सावन मास का प्रत्येक दिन शिव पूजा के लिए विशिष्ट है। इसीलिए सोलह सोमवार का व्रत सावन माह में करना चाहिए।

सोलह सोमवार के व्रत का महत्व। — Solah Somvar Vrat Ka Mahatva. – 16 Somvar Vrat Vidhi. – Solah Somvar Vrat Katha

सोलह सोमवार के व्रत का विशेष महत्व है। माता पार्वती जी ने खुद सोलह सोमवार का व्रत कर भगवान शिव शंकर को प्राप्त किया था। इस व्रत को किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए रखा जाता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि सोलह सोमवार का व्रत रखने से पति को दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने इस व्रत की शुरुआत की थी और सोलह सोमवार का व्रत रखकर कठिन तपस्या करके भगवान शिव को प्राप्त किया था। सोलह सोमवार के व्रत की शुरुआत सावन महीने से करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह व्रत अत्यंत फलदाई है। इसके लिए भक्तों के मन में भगवान के प्रति अटूट आस्था होनी चाहिए। जिस कारण यह व्रत विशेष फलदाई और चमत्कारिक होता है।

श्रावण मास का पौराणिक महत्व। — Shravan Month Ka Mahatva. – Sawan Somvar Vrat Katha.

श्रावण मास भगवान शिव जी का अत्यंत प्रिय मास है। सावन हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का पांचवा महीना होता है। इस माह में अनेक महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं।जैसे रक्षाबंधन, हरियाली तीज,नाग पंचमी आदि। इस महीने में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। और इस महीने में पढ़ने वाले सोमवार सावन के सोमवार कहे जाते हैं। जिसमें स्त्रियां अपने अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं। तथा कुंवारी लड़कियां भी व्रत रख कर मनचाहा वर प्राप्त करती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन मास में समुद्र मंथन किया गया था।

समुंद्र मंथन के बाद जो विष निकला था उसे भगवान शिव जी ने अपने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की थी। इसी विषपान के कारण शंकर जी का नाम नीलकंठ महादेव भी पड़ा। और इस विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी देवताओं ने उन पर जल अर्पित किया। इसीलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व है। इसी कारण से सावन के महीने में भोलेनाथ को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। शिवपुराण में तो यह कहा गया है कि भगवान शिव स्वयं ही जल हैं।

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सोलह सोमवार व्रत की पूजा सामग्री। — Solah Somvar Puja Samagri.

सफेद चंदन, रोली, धतूरा,इत्र,गंगाजल ,बेलपत्र ,जल,धूप, दीप,अष्टगंध ,भांग ,सफेद वस्त्र, पुष्पमाला, पान का पत्ता, सुपारी एवं शिव जी की मूर्ति।

सोलह सोमवार व्रत की पूजा विधि। — Solah Somvar Puja Vidhi. – 16 Somvar Vrat Vidhi

सोलह सोमवार का व्रत किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए रखा जाता है। इस दिन सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनकर भगवान शिव पर जल समर्पित कर नमः शिवाय का मंत्र उच्चारण करना चाहिए। शिवजी के आगे घी का दीपक जलाएं। हाथ में लिए हुए फूल और अक्षत भगवान शिव को समर्पित करें। इसके बाद सफेद वस्त्र शिव को समर्पित करें सफेद पुष्प, धतूरा,बेलपत्र, भांग, इत्र ,पुष्पमाला शिव जी को समर्पित करे। भगवान शिव को सफेद चंदन लगाएं और अक्षत लगाएं। उसके बाद धूप,अष्टगंध अर्पित करें।   उसके बाद आप शिव जी की कथा सुनेऔर भगवान शिव परिवार की आरती उतारें और प्रसाद वितरित करें।

व्रत आरंभ करने के लिए संकल्प। — Solah Somvar Vrat Ke Niyam. – 16 Somvar Vrat Vidhi -Somvar ki Vrat Katha.

किसी भी व्रत को आरंभ करने से पूर्व सर्वप्रथम संकल्प लेना चाहिए।व्रत् के सबसे पहले दिन संकल्प किया जाता है। जो भी आपकी मनोकामना हो उसे भगवान शिव जी के आगे बोलें।उसके बाद आप नियमित रूप से पूजा और व्रत रखें। सबसे पहले हाथ में जल, अक्षत,सुपारी, पान का पत्ता और सिक्का लेकर शिव मंत्र के साथ संकल्प करें।

संकल्प लेते समय किया जाने वाला मंत्र उच्चारण। — Solah Somvar Vrat Ke Niyam. -Solah Somvar Mantra.

संकल्प लेते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

ॐ  शिवशंकरमीशानं द्वादशार्द्धं त्रिलोचनम्।

उमासहितं देवं शिवं आवाहयाम्यहम् ।।

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सोलह सोमवार व्रत कथा के नियम। — Solah Somvar Vrat Ke Niyam.

1. 16 सोमवार के व्रत को पूरी श्रद्धा और साफ मन से करना चाहिए।

2. सोलह सोमवार व्रत के दिन, दिन के समय ना सोएं।

3. प्रत्येक सोमवार को पूजा करने का समय एक जैसा ही रखें।

4. व्रत में नमक का सेवन ना करें और एक ही बार भोजन ग्रहण करें।

5. व्रत के दिन जो भी भोजन ग्रहण करें उसे एक जगह बैठकर ग्रहण करें इधर-उधर घूम कर ना खाएं।

6. अपने मन में भगवान शंकर के प्रति पूरी निष्ठा, विश्वास और आस्था के साथ व्रत रखें।

सोलह सोमवार व्रत कथाI — Solah Somvar Vrat Katha. – 16 somvar vrat vidhi.

पौराणिक मान्यता है कि देवी पार्वती ने महादेव को पाने के लिए सोलह सोमवार के व्रत की शुरुआत की थीI सती के दूसरे रूप में मां पार्वती ने जन्म लिया थाI हर जन्म में भोलेनाथ को अपना पति बनाने का प्रण लिया थाI यही वजह है कि सोलह सोमवार का व्रत कर एक बार पुनः भगवान शिव को प्राप्त कर लिया थाI

एक समय श्री महादेवजी पार्वती के साथ भ्रमण करते हुए मृत्युलोक में अमरावती नगरी में आए। वहां के राजा ने शिव मंदिर बनवाया था, जो कि अत्यंत भव्य एवं रमणीक तथा मन को शांति पहुंचाने वाला था। भ्रमण करते समय शिव-पार्वती भी वहां ठहर गए। पार्वतीजी ने कहा- हे नाथ! आओ, आज इसी स्थान पर चौसर-पांसे खेलें। खेल प्रारंभ हुआ। शिवजी कहने लगे- मैं जीतूंगा। इस प्रकार उनकी आपस में वार्तालाप होने लगी। उस समय पुजारीजी पूजा करने आए। पार्वतीजी ने पूछा- पुजारीजी, बताइए जीत किसकी होगी?

पुजारी बोला- इस खेल में महादेवजी के इलावा कोई दूसरा पारंगत हो ही नहीं सकता इसलिए महादेवजी ही यह बाजी जीतेंगे। परंतु हुआ उल्टा, जीत पार्वतीजी की हुई। अत: पार्वतीजी ने पुजारी को कोढ़ी होने का श्राप दे दिया कि तूने मिथ्‍या भाषण किया है। अब तो पुजारी कोढ़ी हो गया। शिव-पार्वतीजी दोनों वापस चले गए। कुछ समय पश्चात अप्सराएं पूजा करने आईं। अप्सराओं ने पुजारी के उसके कोढ़ी होने का कारण पूछा। पुजारी ने सब बातें बता दीं।

अप्सराएं कहने लगीं- पुजारीजी, आप 16 सोमवार का व्रत करें तो शिवजी प्रसन्न होकर आपका संकट दूर करेंगे। पुजारीजी ने अप्सराओं से व्रत की विधि पूछी। अप्सराओं ने व्रत करने और व्रत के उद्यापन करने की संपूर्ण विधि बता दी। पुजारी ने विधिपूर्वक श्रद्धाभाव से व्रत प्रारंभ किया और अंत में व्रत का उद्यापन भी किया। व्रत के प्रभाव से पुजारीजी रोगमुक्त हो गए।

कुछ दिनों बाद शंकर-पार्वतजी पुन: उस मंदिर में आए तो पुजारीजी को रोगमुक्त देखकर पार्वतीजी ने पूछा- मेरे दिए हुए श्राप से मुक्ति पाने का तुमने कौन सा उपाय किया। पुजारीजी ने कहा- हे माता! अप्सराओं द्वारा बताए गए 16 सोमवार के व्रत करने से मेरा यह कष्ट दूर हुआ है। इस प्रकार सोलह सोमवार का व्रत बहुत ही ज्यादा फलदाई है जो भी जिस इच्छा के साथ इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करता है भगवान शंकर उसकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं।

सोलह सोमवार के व्रत में क्या खाएं। — 16 somvar vrat udyapan.

सोलह सोमवार के व्रत में खाने पर विशेष ध्यान देना चाहिए जो कि भगवान शिव के ही प्रसाद का रूप माना जाता है। सोलह सोमवार के व्रत में नमक नहीं खाना चाहिए और सात्विक भोजन करना चाहिए। प्याज लहसुन नहीं खाना चाहिए। आप जो भी बनाए सबसे पहले उसे भगवान को भोग लगाएं और उसी के बाद उसी भोजन को स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए। इसके साथ ही आप फलों का सेवन कर सकते हैं और पानी भी पी सकते हैं। दिन भर में नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहना चाहिए। दिन भर में एक ही बार भोजन करें।

सोलह सोमवार व्रत का उद्यापन कैसे करें। — 16 somvar vrat udyapan – Solah Somvar vrat udyapan.

इस सोमवार व्रत का उद्द्यापन 17 वें सोमवार के दिन करना चाहिए। उद्द्यापन किसी कुशल पंडित के द्वारा ही कराना चाहिए। उद्द्यापन भी उसी समय करना चाहिए जिस समय आप प्रत्येक सोमवार को पूजा करते थे। उद्द्यापन में सवा किलो आटे का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। प्रसाद को तीन भाग में विभक्त कर देना चाहिए पहला भाग शिव जी को चढ़ाएं दूसरा भाग नंदी को चढ़ाएं, तीसरा भाग स्वयं खाना चाहिए। उद्द्यापन में दशमांश जप का हवन करके सफेद वस्तुओं जैसे चावल, श्वेत वस्त्र, दूध-दही,बर्फी चांदी तथा फलों का दान करना चाहिए।

सोलह सोमवार व्रत करने के लाभ। –Vrat Karne Ke Fayde.

जो भी सोलह सोमवार का व्रत पूरी निष्ठा आस्था और विश्वास के साथ करता है भगवान शिव शंकर उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

1विवाहित स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
2कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है।
3रोगों से मुक्ति मिलती है।
4संतान सुख की प्राप्ति होती है।
5घर में धन वैभव यश बढ़ता है।
6अकाल मृत्यु नहीं होती है।
7सारे कष्ट दूर होते हैं।
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सोमवार तथा सोलह सोमवार व्रत में अंतर। — Sawan Somvar vrat katha

1.16 सोमवार व्रत केवल सोलह सोमवार को ही होता हैIपरंतु सोमवार व्रत आप आजीवन भी कर सकते हैं।
2.सोलह सोमवार में आप जिस समय पूजा करते हैं उसी समय पूरे सोलह सोमवार को पूजा करनी होती हैIपरंतु सोमवार व्रत में ऐसा नहीं है।
3.सोलह सोमवार व्रत में जो प्रसाद प्रथम दिन चढ़ाते हैं वहीं पूरे व्रत के दौरान चढ़ाना होता हैIसोमवार व्रत में ऐसा नियम नहीं है।
4.सोलह सोमवार व्रत में पूजा खंडित नहीं होनी चाहिए Iपरंतु सोमवार व्रत में आप छोड़कर भी व्रत रख सकते हैं।
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व्रत से जुड़े कुछ सवालों के जवाबI — FAQ

Q1.-क्या आप जानते हैं शिव जी को कौन सा फल पसंद है?

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Ans. शिव जी को धतूरे का फल और फूल दोनों बहुत पसंद है। इनके बिना शिवजी की पूजा अधूरी मानी जाती है।

Q2.-क्या आप जानते हैं शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कौन से मंत्र का उच्चारण करना चाहिए?

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Ans. शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए महिलाओं को शिवाय नमः और पुरुषों को ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए जल चढ़ाना चाहिए। इसके अतिरिक्त श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि। इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भी जल चढ़ा सकते हैं।

Q3.-क्या आप जानते हैं शिवलिंग पर जल कैसे चढ़ाना चाहिए?

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Ans. शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय आपका मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।ऐसा कहा जाता है कि इस दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाने से शिव और पार्वती दोनों को आशीर्वाद मिलता है।

Q4.- शिवजी पर क्या चढ़ाने से किस चीज की प्राप्ति होती है अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी। Monday Vrat Katha.

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Ans:शिवजी पर निम्नलिखित वास्तुवें चढ़ाई जा सकती हैं।
 1. दही-
शिवलिंग पर दही अर्पित करने से हमें जीवन में हर्ष और उल्लास की प्राप्ति होती है ।
2. दूध-
शिवलिंग पर दूध अर्पित करने से आरोग्य की प्राप्ति होती हैI रोग दूर होते हैं।
3. शहद-
शिवलिंग पर शहद चढ़ाने  से रूप और सौंदर्य प्राप्त होता है। वाणी में मिठास रहती है।
4. घी-
शिवलिंग पर घी चढ़ाने से हमें तेज की प्राप्ति होती है।
5. शक्कर-
शिवलिंग पर शक्कर चढ़ाने से सुख – समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
6. ईत्र-
शिवलिंग पर ईत्र चढ़ाने से धर्म की प्राप्ति होती हैं।
7. चंदन-
शिवलिंग पर चंदन चढ़ाने से समाज में यश और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
8. धतूरा-
भगवान भोलेनाथ की धतूरे से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैंI जो कुल का नाम रोशन करता है
9. भांग-
शिवलिंग पर भांग चढ़ाने से हमारे समस्त पाप और समस्त बुराइयां दूर होती हैं।
10. गन्ने का रस-
शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से समस्त पारिवारिक सुखों की प्राप्ति होती है, परिवार के सदस्यों के बीच में आपसी प्रेम बना रहता है।
11. गेहूं-
शिवलिंग पर गेहूं चढ़ाने से वंश वृद्धि होती हैI सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है।
12. चावल-
शिवलिंग पर चावल चढ़ाने से धन और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
13. तिल-
शिवलिंग पर तिल चढ़ाने से पापों और समस्त रोगो का नाश होता है।
14. बेलपत्र-
भगवान भोलेनाथ की बेलपत्र से पूजा करने से सभी संकट दूर होते है । और सुख की प्राप्ति होती है।
15. चमेली के फूल-
भगवान भोलेनाथ पर चमेली के फूल चढ़ाने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
 16. जूही के फूल-
भगवान भोलेनाथ की जूही के फूल से पूजन करने से कारोबार और घर में धन धान्य की कोई भी कमी नहीं रहती है।
 

दोस्तों मैं आशा करती हूँ आपको ”सोलह सोमवार व्रत विधि, ऐतिहासिक महत्व, मान्यता, व्रत करने से लाभ एवं समस्त व्रत से जुड़ी जानकारी पसंद आई होगी I इस तरह की और अधिक जानकारी पाने के लिए मुझसे (www.lifewithhimani.com)  से जुड़ी रहें और कमेंट के माध्यम से अपने सुझाव भी शेयर करें।
धन्यबादI

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