Pashupatinath aarti vrat vidhi katha mantra manyata udhyapan Pashupatinath vrat ka mahatva Pashupatinath vrat ke niyam Pashupatinath vrat karne ki vidhi Pashupatinath vrat katha Pashupatinath Pooja mantra हम सभी लोगों की ईश्वर में असीम आस्था होती है। इसीलिए हम भगवान की किसी ना किसी रूप में पूजा अवश्य करते हैं। तो दोस्तों आज हम इसी आस्था से जुड़े हुए एक बहुत ही फलदायी पशुपतिनाथ व्रत की बात करते हैं।

पशुपतिनाथ व्रत का महत्व। –(Pashupatinath vrat ka mahatva)
वैसे तो भगवान भोलेनाथ अपने हर भक्त पर कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। भगवान भोलेनाथ के नाम के समान ही उनका ह्रदय बहुत ही कोमल और दयालु है।इसलिए तो उनके भक्त महादेव को प्रसन्न करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं। क्या आप लोग जानते हैं, कि भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए एक व्रत रखा जाता है। जो, कि पशुपतिनाथ व्रत के नाम से जाना जाता है। पशुपतिनाथ व्रत को करने से भोलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त होती है।
अगर आपके जीवन में कोई भी कठिनाई हो या फिर कोई भी कार्य बहुत कोशिश करने के बाद भी नहीं हो रहा है तो आप पशुपतिनाथ व्रत को करके देखिए,भोलेनाथ के भक्तों के कष्ट स्वयं भोलेनाथ दूर करते हैं। अगर कोई भी मनुष्य सच्चे हृदय से इस व्रत को निष्ठा और नियम पूर्वक करे तो उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है ऐसी मान्यता है।
पशुपतिनाथ व्रत के नियम। –(Pashupatinath vrat ke niyam)

जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि हर व्रत के अपने कुछ नियम होते हैं। इसी प्रकार पशुपतिनाथ जी के व्रत के भी कुछ नियम और विधि हैं जिनका पालन करना आवश्यक है। भगवान शिव को पंचानंद के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए इस व्रत में भगवान शिव के सामने 5 दिए जलाए जाते हैं। यह व्रत सोमवार के दिन रखा जाता है और पांच सोमवार व्रत रखा जाता है। पांचवे सोमवार के दिन उद्यापन किया जाता है।
पशुपतिनाथ व्रत करने की विधि। — (Pashupatinath vrat karne ki vidhi)
यह व्रत सोमवार के दिन किया जाता है और व्रत करने के पहले दिन से ही ब्रह्मचर्य नियम का पालन किया जाता है। इस दिन सुबह उठ कर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। उसके बाद आप मंदिर जाने के लिए पूजा की थाली तैयार करें जिसमें चावल, लाल चंदन, फूल, प्रसाद, बिल्वपत्र, पंचामृत इत्यादि लेते जाएं। साथ ही एक कलश में जल लेकर जाएं। सर्वप्रथम आप जल से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करें।
उसके पश्चात आप भगवान भोलेनाथ के सामने घी का दिया जलाएं। और पूजन की अन्य सामग्री भगवान को चढ़ाए तथा प्रसाद चढ़ाने के बाद आरती करके घर वापस आएं। शाम के समय आप दुबारा मंदिर में जाकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करें। इस समय आप अपने साथ 6 दिए भी लेकर जाएं। इनमे से 5 दिए भगवान भोलेनाथ के सामने रखें। और अपनी मनोकामना भगवान भोलेनाथ के सामने रखें। और छठा दिया अपने साथ वापस घर लेकर आएं।
और इस दिए को प्रवेश द्वार के सामने रखकर भगवान भोलेनाथ का स्मरण करते हुए अपनी मनोकामना भगवान भोलेनाथ से मांगे।और इसके बाद ही घर में प्रवेश करें।
पशुपतिनाथ की व्रत कथा। –(Pashupatinath vrat katha)

पशुपतिनाथ जी की व्रत कथा इस प्रकार है,एक बार की बात है भगवान् शिव, नेपाल की सुन्दर तपोभूमि के प्रति आकर्षित होकर, एक बार कैलाश छोड़ कर यहीं आकर रम गये। इस क्षेत्र में वह 3 सींग वाले मृग (चिंकारा) बन कर, विचरण करने लगे। अतः इस क्षेत्र को पशुपति क्षेत्र, या मृगस्थली भी कहते हैं। शिव को इस प्रकार अनुपस्थित देख कर ब्रह्मा, विष्णु को चिंता हुई और दोनों देवता भगवान शिव की खोज में निकले।
इस सुंदर क्षेत्र में उन्होंने एक देदीप्यमान, मोहक 3 सींग वाले मृग को विचरण करते देखा। उन्हें मृग रूप में शिव होने की आशंका होने लगी। ब्रह्मा जी ने योग विद्या से तुरंत पहचान लिया कि यह मृग नहीं, बल्कि भगवान आशुतोष ही हैं। ब्रह्मा जी ने तत्काल ही उछल कर उन्होंने मृग का सींग पकड़ने का प्रयास किया। इससे मृग के सींग के 3 टुकड़े हो गये।उसी सींग का एक टुकड़ा इस पवित्र क्षेत्र में गिरा और यहां पर महारुद्र उत्पन्न हुए, जो श्री पशुपति नाथ के नाम से प्रसिद्ध हुए।
शिव जी की इच्छानुसार भगवान् विष्णु ने नागमती के ऊंचे टीले पर,भगवान शिव को मुक्ति दिला कर, लिंग के रूप में स्थापना की, जो पशुपति के रूप में विख्यात हुआ।
पशुपति नाथ जी की पूजा करते समय पढ़े जाने वाले मंत्र। — (Pashupatinath Pooja mantra)
संजीवय संजीवय फट।।
विदरावय विदरावय फट।।
सर्वदूरीतं नाशाय नाशाय फट।।
“ॐ नमः शिवाय”
“श्री शिवाय नमस्तुभ्यं”
पशुपतिनाथ व्रत में क्या खाना चाहिए।(Pashupatinath vrat me kya khana chahiye)

व्रत के दौरान आप सुबह पूजा करने के बाद फलाहार कर सकते हैं। इसके पश्चात शाम की पूजा के बाद आप भगवान का प्रसाद ग्रहण करने के बाद आप भी भोजन ग्रहण कर सकते हैं इस व्रत में नमक खाने से कोई परहेज नहीं है। केवल शुद्ध और सात्विक भोजन ही व्रत के दौरान करना चाहिए।
पशुपतिनाथ व्रत का उद्यापन। –(Pashupatinath vrat ka udhyapan)
पशुपतिनाथ व्रत का उद्यापन पांचवे सोमवार के दिन करना चाहिए। उस दिन भी आपको व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ का पूजन करना चाहिए। इसे एक श्रीफल लेकर उसमें 7 बार मौली लपेटें और इस श्रीफल को भगवान शिव जी को अर्पित करें। उद्यापन के दिन ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए 108 बेलपत्र भगवान शिवजी को अर्पित करें। भगवान शिव जी के भोग में मिठाई और फल का भोग लगाएं। और यथाशक्ति ब्राह्मण को दान दें।
पशुपतिनाथ व्रत करने के फायदे। –(Pashupatinath vrat ke fayde)
जो भी मनुष्य इस व्रत को सच्चे ह्रदय और मन से करता है भगवान भोलेनाथ उसकी हर मनोकामना अवश्य पूर्ण करते हैं। पशुपति नाथ जी का व्रत कलयुग में एक चमत्कारी व्रत के समान है। जिसका अति शीघ्र फल मिलता है।कलयुग में अतिशीघ्र फल देने वाला पशुपतिनाथ का ये व्रत का उल्लेख पुराणों में विदित है।
पशुपतिनाथ जी को लगने वाला भोग। — (Pashupatinath ji ko lagne wala bhog)
यह व्रत ऐसा होता है जिसमें कि शाम के समय भोग के 3 बराबर भाग कर दिए जाते हैं और तीनों भागों में से 2 भाग बाबा महाकाल को अर्पण किए जाते हैं तथा एक भाग स्वयं को खाना होता है। पशुपतिनाथ जी को आप खीर, हलवा, मिष्ठान किसी भी चीज का भोग लगा सकते हैं।
दोस्तों इस प्रकार यह व्रत कलयुग में बहुत ही शीघ्र फल देने वाला चमत्कारी व्रत है। जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ जी का यह व्रत करता है भगवान भोलेनाथ उसके सारे संकट दूर कर उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करते हैं।
पशुपतिनाथ भगवान जी की आरती। –(Pashupatinath bhagwan ji ki aarti)
ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा ।
त्वं मां पालय नित्यं कृपया जगदीशा ॥ ॐ जय गंगाधर …
कैलासे गिरिशिखरे कल्पद्रमविपिने ।
गुंजति मधुकरपुंजे कुंजवने गहने ॥ ॐ जय गंगाधर …
कोकिलकूजित खेलत हंसावन ललिता ।
रचयति कलाकलापं नृत्यति मुदसहिता ॥ ॐ जय गंगाधर …
तस्मिंल्ललितसुदेशे शाला मणिरचिता ।
तन्मध्ये हरनिकटे गौरी मुदसहिता ॥ ॐ जय गंगाधर …
क्रीडा रचयति भूषारंचित निजमीशम् ।
इंद्रादिक सुर सेवत नामयते शीशम् ॥ ॐ जय गंगाधर …
बिबुधबधू बहु नृत्यत नामयते मुदसहिता ।
किन्नर गायन कुरुते सप्त स्वर सहिता ॥ ॐ जय गंगाधर …
धिनकत थै थै धिनकत मृदंग वादयते ।
क्वण क्वण ललिता वेणुं मधुरं नाटयते॥ ॐ जय गंगाधर …
रुण रुण चरणे रचयति नूपुरमुज्ज्वलिता ।
चक्रावर्ते भ्रमयति कुरुते तां धिक तां ॥ ॐ जय गंगाधर …
तां तां लुप चुप तां तां डमरू वादयते ।
अंगुष्ठांगुलिनादं लासकतां कुरुते ॥ ॐ जय गंगाधर …
कपूर्रद्युतिगौरं पंचाननसहितम् ।
त्रिनयनशशिधरमौलिं विषधरकण्ठयुतम् ॥ ॐ जय गंगाधर …
सुन्दरजटायकलापं पावकयुतभालम् ।
डमरुत्रिशूलपिनाकं करधृतनृकपालम् ॥ ॐ जय गंगाधर …
मुण्डै रचयति माला पन्नगमुपवीतम् ।
वामविभागे गिरिजारूपं अतिललितम् ॥ ॐ जय गंगाधर …
सुन्दरसकलशरीरे कृतभस्माभरणम् ।
इति वृषभध्वजरूपं तापत्रयहरणं ॥ ॐ जय गंगाधर …
शंखनिनादं कृत्वा झल्लरि नादयते ।
नीराजयते ब्रह्मा वेदऋचां पठते ॥ ॐ जय गंगाधर …
अतिमृदुचरणसरोजं हृत्कमले धृत्वा ।
अवलोकयति महेशं ईशं अभिनत्वा ॥ ॐ जय गंगाधर …
ध्यानं आरति समये हृदये अति कृत्वा ।
रामस्त्रिजटानाथं ईशं अभिनत्वा ॥ ॐ जय गंगाधर …
संगतिमेवं प्रतिदिन पठनं यः कुरुते ।
शिवसायुज्यं गच्छति भक्त्या यः श्रृणुते ॥ ॐ जय गंगाधर ..
FAQ Pashupatinath Aarti Vrat Vidhi Katha Mantra Manyata Udhyapan
Q1-पशुपति नाथ जी का व्रत करते समय पढ़ा जाने वाला मंत्र कौन सा है?

A. पशुपति नाथ जी पूजा करते समय सदैव पुरुषों को “ओम नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना चाहिए और स्त्रियों को “शिवाय नमः “मंत्र का जाप करना चाहिए।
Q2-क्या आप जानते हैं कि पशुपतिनाथ का व्रत कौन रख सकता है?

A.पशुपतिनाथ जी का व्रत कोई भी स्त्री,पुरुष रख सकते हैं।
Q3-क्या आप जानते हैं पशुपति नाथ जी की पूजा शाम को किस समय करनी चाहिए?

A.सूर्यास्त के एक घंटे पहले और सूर्यास्त के एक घंटे बाद तक का समय शाम की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है।
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