Kaise kare Navjaat Shishu Ki Dekhbhal. | कैसे करें नवजात शिशु की देखभाल। |(Infant Care in Hindi)

navjaat shishu ki dekhbhal Navjaat Shishu Ki Malish Kyo Jaruri Hai Navjaat Shishu Ki Malish Ke Fayde मां बनने का एहसास ही कुछ अलग होता है। अपने नवजात शिशु का चेहरा देखकर एक मां अपने सारे दुख दर्द भूल जाती है।बच्चे होने के बाद  एक मां के लिए यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि वह कैसे अपने नवजात शिशु की देखभाल करें। अगर एक मां बच्चे की उचित देखभाल करने में निपुण होती है तभी उसका मां बनना सफल हो पाता है। नवजात शिशु की देखभाल,उसका सही से लालन-पालन करने के लिए एक मां को बच्चे के स्वास्थ्य से जुड़ी छोटी-छोटी सभी जानकारियां होनी चाहिए। जिससे कि वह अपने बच्चे की सही देखभाल कर सकें। तो चलिए आज इसी टॉपिक पर बात करते हैं।

शिशु की मालिश क्यों है जरुरी ? (Navjaat Shishu Ki Malish Kyo Jaruri Hai.)

नवजात शिशु जन्म से ही बहुत ही कोमल होता है। इसलिए उसकी हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए बच्चे की मालिश करना बहुत ही जरूरी है।मालिश करने से बच्चे की मांसपेशियां मजबूत होती है और उसका विकास और वृद्धि भी जल्दी- जल्दी होने लगती है। घरों में दादी, नानी, दाई या कोई अन्य बुजुर्ग महिला द्वारा बच्चे की मालिश कराई जाती है।इसके पीछे का कारण यह है कि उनको इसका अच्छा अनुभव होता है। अगर बच्चे की मालिश उसकी मां करें तो यह बच्चे के लिए और अच्छा होता है। क्योंकि बच्चा अपनी मां के स्पर्श को पहचानता है और मां का स्पर्श बच्चे को सुरक्षा का एहसास भी दिलाता है। मालिश करने से बच्चे के शरीर की कसरत भी होती है।

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शिशु की मालिश कैसे करें। (Navjaat Shishu Ki Tel Malish Kiase Kare)

बच्चे की मालिश दिन में तीन टाइम तो करनी ही चाहिए। नहीं तो सुबह और शाम तो जरूर करनी चाहिए।बच्चे की मालिश के लिए जैतून का तेल बेस्ट रहता है। इसके अलावा आप सरसों के तेल और बेबी ऑयल से भी मालिश कर सकते हैं। बच्चे को रोज नहलाने से पूर्व उसकी मालिश करनी चाहिए।और मालिश को पैरों से शुरू करना चाहिए, और फिर धीरे-धीरे हल्के हाथों से उसके हाथों ,छाती और पेट की मालिश करनी चाहिए।इसी तरह फिर उसके पीठ, कमर तथा सिर की मालिश करनी चाहिए। मालिश करते समय कमरे के दरवाजे, खिड़कियां सब बंद कर दें जिससे कि बाहर की हवा कमरे के अंदर ना आ पाए। और बच्चे को कोई नुकसान ना पहुंचे। जब बच्चे को जुकाम हो या बुखार हो तब मालिश नहीं करनी चाहिए।

नवजात शिशु की मालिश के फायदे। (Navjaat Shishu Ki Malish Ke Fayde)

नवजात बच्चे की मालिश करने के बहुत फायदे हैं। इससे बच्चे की मांसपेशियों तो मजबूत होती ही हैं साथ ही बच्चे की हड्डियां भी मजबूत होती हैं। मालिश करने से बच्चे के शरीर की कसरत भी होती है।जिससे कि मालिश करने के बाद बच्चा थककर आराम से गहरी नींद सो जाता है। हमेशा मालिश हल्के हाथों से आराम -आराम से ही करनी चाहिए। क्योंकि बच्चे का शरीर बहुत ही नाजुक होता है जिस कारण से बच्चों के नाजुक अंगों को झटका ना लगे।

नवजात शिशु को कैसे नहलाएं? (Navjaat Shishu Ko Kaise Nahlaye)

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बच्चे की त्वचा बहुत ही ज्यादा नाजुक और कोमल होती है। इसलिए उसे नहलाते समय कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। बच्चे को एक गीले कपड़े से पोंछ कर स्पंज बाथ भी करा सकते हैं। या फिर आप बाथ टब में भी नहला सकते हैं।लेकिन नहलाते समय आपको यह सावधानी रखनी होगी कि बच्चे की आंख,कान या नाक में साबुन या साबुन का पानी ना जाने पाए।इसके साथ ही गुनगुने पानी से ही बच्चे को नहलाएं।

नवजात शिशु को पकड़ने का तरीका। (Navjaat Shishu Ko Kaise Pakde)

जैसा कि हम सब को यह बात पता है कि बच्चे का शरीर बहुत कोमल और नाजुक होता है। तो बच्चे को पकड़ने का गलत तरीका मुश्किल में डाल सकता है।इसलिए बच्चे को हमेशा आराम से पकड़ें। एक हाथ से नीचे सिर और गर्दन को सहारा दें और दूसरे हाथ को उसके ऊपर रखें। बच्चे को कभी भी  जोर से ना हिलाएं और ना ही उसे उछालें। ऐसा करने से शिशु को गंभीर समस्या भी हो सकती है। नवजात शिशु को हमेशा हाथों को धोकर या फिर सैनिटाइजर का प्रयोग करने के बाद ही पकड़े।

नवजात शिशु की जरूरतों को कैसे समझें? (Navjaat Shishu Ki Dekhbhal)

माता -पिता अपने नवजात शिशु की जरूरतों को समझने की पूरी कोशिश करें। क्योंकि बच्चा अभी खुद से बोल नहीं सकता है कि उसे क्या चाहिए या फिर कोई परेशानी है। इसलिए माता -पिता को यह समझना बहुत जरूरी है कि, बच्चा क्यों रो रहा है कहीं बच्चा भूख की वजह से तो नहीं रो रहा है। या फिर उसका डायपर गीला हो या फिर उसके आसपास कुछ ऐसा हो रहा हो जिससे बच्चा चिड़चिड़ा हो रहा है।इसलिए हर माता-पिता को अपने बच्चे की जरूरतों को समझने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।उसको एक ही पोजीशन में ज्यादा देर तक नहीं सुलाना चाहिए।साथ ही उसका मन बहलाने के लिए उससे बातें भी करनी चाहिए।

1. नवजात शिशु को समय पर सुलाना है जरुरी ।

नवजात शिशु के लिए पर्याप्त नींद लेना बहुत ही ज्यादा जरूरी है।क्योंकि सोने से ही शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास होता है। नवजात शिशु 15 से 24 घंटे तक सोता है। परंतु वह पूरी रात एक ही नींद नहीं सो पाता है। क्योंकि बच्चे का पेट छोटा होता है और नवजात शिशु केवल दूध ही पीता है, और टॉयलेट करता रहता है। इसलिए उसे जल्दी -जल्दी भूख लग जाती है। इसलिए हर 4 घंटे में उसे दूध पिलाना चाहिए। साथ ही हर रोज उसके सोने का भी टाइम निश्चित करें। जिससे कि वह उसी समय पर सोए।हमेशा बच्चे को पीठ के बल सुलाएं और उसके मुंह को पूरा नहीं ढकें।

2. नवजात शिशु स्वस्थ है इसका पता कैसे लगाएं।

नवजात शिशु का टीकाकरण हमेशा टाइम से करवाएं।जन्म से लेकर कुछ वर्षों तक बच्चे को टीका लगवाना बहुत जरूरी होता है। तो इसमें लापरवाही बिल्कुल ना करें। क्योंकि टीकाकरण से गंभीर बीमारियां पोलियो, चिकन पॉक्स ,हेपेटाइटिस ए ,बी, रेबीज आदि नहीं होती हैं। और टीकाकरण से बच्चे का इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है। इसके साथ बच्चे का नियमित चेकअप भी करवाएं। शिशु के जन्म के बाद एक डायरी अपने पास रखें जिसमें बच्चे की हाइट, वजन,मानसिक विकास आदि के बारे में लिखें। इससे आपको यह भी समझ में आने लगेगा कि आपके बच्चे का विकास सामान्य तरीके से हो रहा है या नहीं। अपने साथ हमेशा डाक्टर के परामर्श से जरूरी दवाइयां और थर्मामीटर भी रखें।

इस तरीके से इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर हम अपने शिशु की उचित देखभाल कर सकते हैं।

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