Hariyali Teej Vrat Ki Katha Vidhi Manyata Mahatva. | हरियाली तीज, व्रत कथा, विधि एवं मान्यताI | Know All About Hariyali Teej Hindi.

Hariyali Teej Vrat Ki Katha Hariyali Teej Puja Mantra Hariyali Teej 2023 Hartiyali Teej Puja Samagri List Hariyali Teej Puja Vidhi Hariyali Teej ka Mahatva सावन मास को बहुत ही पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में कई सारे व्रत, त्योहार मनाए जाते हैं। यह महीना भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना है इसीलिए इस महीने में सोलह सोमवार , सोमवार, मंगला गौरी, तीज व्रत किए जाते हैं। हर साल अखंड सौभाग्य की प्रतीक हरियाली तीज बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। तो आइए आज इसी टॉपिक पर बात करते हैं।

प्रत्येक वर्ष सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल हरियाली तीज 31 जुलाई को धूमधाम से मनाई जाएगी। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत के दिन शुभ समय में माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करती हैं।हरियाली तीज को छोटी तीज या श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है। हरियाली तीज को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना गया हैI

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हरियाली तीज 2023 पर शुभ योग। Hariyali Teej 2023 Shubh Yog.

इस साल हरियाली तीज अगस्त 18, 2023 को 20:03:34 से तृतीया आरम्भ और अगस्त 19, 2023 को 22:21:33 पर तृतीया समाप्तI हैं।

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हरियाली तीज की पूजा सामग्री। — Hartiyali Teej Puja Samagri List.

भगवान शिव और माता पार्वती की गणेश की मिट्टी की मूर्ति। दूर्वा, कलश, अक्षत, घी, कपूर, गंगाजल, दूही और शहद, सोलह श्रृगांर का सामान, पीला वस्त्र, केले का पत्ता, बेलपत्र, धतूरा, शमी के  पत्ते, जनेऊ, सुपारी, रोली, सफेद कपड़े का एक टुकड़ा।

हरियाली तीज की पूजा विधि। –Hariyali Teej Puja Vidhi.

हरियाली तीज पर हरे रंग का विशेष महत्व होता है।हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह समय से उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ कपड़े पहनें। और भगवान शिव और मां पार्वती का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद शुभ मुहूर्त के अनुसार माता पार्वती और भगवान शिव के साथ गणेश भगवान की प्रतिमा स्थापित करें। सबसे पहले गणेश पूजा करते हैं।

इसके बाद माता पार्वती को 16 श्रृंगार के सामग्री के साथ साड़ी, अक्षत्, दीप, धूप, गंध आदि अर्पित करते हैं। उसके बाद भगवान शिव को भांग, धतूरा, श्वेत फूल, बेल पत्र, धूप और गंध आदि समर्पित करते हैं। इसके बाद महिलाएं तीज व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। चावल और बेसन की मिठाई बनाकर भोग लगाएं।शाम को चंद्रमा को देखकर उनकी पूजा करके व्रत खोलें।

हरियाली तीज पर पूजा मंत्र। –Hariyali Teej Puja Mantra.

पार्वती सौभाग्य मंत्र:

हे गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।

तथा मां कुरु कल्याणी कांत कांता सुदुर्लभाम्।।

अखंड सौभाग्य प्राप्त करने के लिए किया जाने वाला मंत्र:

देहि सौभाग्य आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्।

पुत्रान देहि सौभाग्यम देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

रुपम देहि जयम देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

शुभ फलदायक मंत्र:

गण गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।

मां कुरु कल्याणी कांत कांता सुदुर्लभाम्।।

हरियाली तीज का महत्व। — Hariyali Teej ka Mahatva.

मान्यता है कि मां पार्वती ने 107 जन्म लिए थे भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए। अंततः मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान ने पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मां पार्वती प्रसन्न होकर पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती हैं।सावन माह में चारों तरफ हरियाली होने के कारण इस तीज को हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है। तीज का व्रत रखने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। पति के निरोगी रहने का आशीर्वाद भी प्राप्त होने की मान्यता है।

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हरियाली तीज का त्योहार अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। कई जगह सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए इस दिन व्रत करती हैं। वहीं कई क्षेत्रों में हरियाली तीज के दिन पकवान बनाएं जाते हैं। जो महिलाएं हरियाली तीज के दिन व्रत करती हैं वह दिन भर जल भी ग्रहण नहीं करतीं हैं। इस दिन स्त्रियों को मायके से श्रंगार, मिठाई आदि ससुराल भेजी जाती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं तथा इस दिन महिलाएं झूला भी झूलती हैं। मेंहदी लगाती हैं, हरी चूड़ियां पहनती हैं। और बहुत ही हर्षोल्लास के साथ यह त्योहार मनाया जाता है।

हरियाली तीज की कथा। — Hariyali Teej Ki Katha.

माता सती ने हिमालयराज के घर माता पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया। माता पार्वती ने बचपन से ही भगवान शिव को पतिरूप में पाने की कामना कर ली थी। गुजरते समय के साथ जब माता पार्वती विवाह योग्य हो गई तो पिता हिमालय शादी के लिए योग्य वर तलाशने लगे थे। एक दिन नारद मुनि पर्वत राज हिमालय के पास गए और उनकी चिंता सुनकर उन्होंने योग्य वर के रूप में भगवान विष्णु का नाम सुझाया।

हिमालयराज को भी भगवान विष्णु दामाद के रूप में पसंद आए और उन्होंने अपनी रजामंदी दे दी। पिता हिमालय के रजामंदी को जानकर माता पार्वती चिंतित हो गईं क्योंकि उन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में पाने की कामना पहले से ही कर रखी थीं। इसलिए भगवान शिव को पाने के लिए वो एकांत जंगल में जाकर तपस्या करने का संकल्प लिया। वहां पर उन्होंने रेत से एक शिवलिंग बनाया और अपनी तपस्या करने लगीं।

एकांत जंगल में माता पार्वती ने कठोर तपस्या की। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया। जब पर्वतराज हिमालय को बेटी पार्वती के मन की बात पता चली तो उन्होंने भगवान शिव से माता पार्वती की शादी के लिए तैयार हो गए। जिसके परिणाम स्वरूप माता पार्वती और भगवान शिव की शादी संपन्न हुई। तभी से इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है।

कुंवारी लड़कियों के लिए क्यों खास है हरियाली तीज। — Hariyali Teej Ki Katha.

हरियाली तीज का यह व्रत सुहागन महिलाओं के साथ- साथ कुंवारी कन्याओं के लिए भी विशेष माना जाता है। यदि कोई कुंवारी लड़की इस दिन पूरे विधान से व्रत रखती है तो उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। यदि कोई कुंवारी लड़की किसी से प्रेम करती है और अगर वह हरियाली तीज का व्रत रखती है तो उसे उसका प्रेमी पति के रूप में अवश्य प्राप्त होता है। इतना ही नहीं उस कन्या का वैवाहिक जीवन सदैव ही सुखमय रहता है। जिन लड़कियों का विवाह नही हो पा रहा या विवाह में किसी प्रकार की कोई अड़चन आ रही है। वह भी यदि हरियाली तीज के इस व्रत को करती है तो उनका विवाह शी्घ्र हो जाता है।

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हरियाली तीज पर हरे रंग का महत्व। — Hariyali Teej Mahatva.

सावन का महीना हरियाली का होता है।हरे रंग को शांति प्रदान करने वाला रंग माना जाता है, साथ ही हरा रंग खुशहाली का प्रतीक होता है।हरियाली तीज के दिन हरे वस्त्र और चूड़ियों को लेकर मान्यता है कि इस दिन हरे रंग से मां पार्वती और शिव भी प्रसन्न होते हैं। इसलिए इस दिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां हरे वस्त्र,हरी चूड़ियां और मेहंदी लगाती हैं।हरा रंग माता पार्वती का रंग है और भगवान शिव को भी यह रंग प्रिय है।

हरियाली तीज से जुड़े कुछ सवालों के जबाब।

Q.– हरियाली तीज व्रत सबसे पहले किसने रखा था?

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A. सबसे पहले हरियाली तीज का व्रत  राजा हिमालय की पुत्री पार्वती ने रखा था। जिस कारण से उन्हें शिवजी पति के रूप में प्राप्त हुए थे।

Q.- हरियाली तीज पर सिंधारे का क्या मतलब होता है?

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A. विवाहित स्त्री के मायके से आने वाले  श्रृंगार के सामान को सिंधारा कहते हैं। हरियाली तीज पर मायके से श्रृंगार का सामान आता है। जिसमें सोलह श्रृंगार का सामान और कुछ खाने पीने की वस्तुएं होती हैं।जो कि तीज के एक-दो दिन पहले आ जाता है। मायके वाले सिंधारा के माध्यम से अपनी बेटी को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यह बहुत शुभ माना जाता है।

Q.-हरियाली तीज के दिन किस रंग के कपड़े पहनना वर्जित है?

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A. हरियाली तीज के दिन हरे रंग के वस्त्र पहनना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन काले और सफेद रंग के कपड़े पहनना वर्जित है।

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