haritalika teej ktha teej ki katha teej ki kahani haritalika teej ki katha teej vrat 2023 महिलाओं का मनपसंद त्योहार हरतालिका तीज बहुत जल्दी आने वाला है। इस वर्ष 18 सितम्बर 2023 सोमवार के दिन हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन औरतों द्वारा रखा जाएगा।हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनाई जाती है।हरतालिका तीज भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है।पति की दीर्धायु के लिए सुहागिन महिलाएं व्रत रख इस त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाती हैं। तो चलिए आज बात करते हैं हरतालिका तीज के बारे में।

हरतालिका तीज व्रत कथा मुहूर्त व तिथिI –Hartalika Teej 2023 muhurat Time.
हरतालिका तीज व्रत – 18 सितम्बर 2023 सोमवार
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि शुरू – 29 अगस्त 2023 सोमवार, दोपहर 03.20 बजे से।
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त – 30 अगस्त 2023 मंगलवार,दोपहर 03.33 बजे तक।
प्रदोष काल मुहूर्त – 30 अगस्त 2022, शाम 06.33- रात 08.51 रहेगा।
सुबह का शुभ मुहूर्त- 30 अगस्त 2022, सुबह 06.05- 08.38 बजे तक।
आराध्य भगवान -शिव।
हरतालिका नाम के पीछे का रहष्य। — Haritalika Naam Ka Matlab.
हरतालिका दो शब्दों से बना है, हर और तालिका। हर का अर्थ है हरण करना और तालिका अर्थात सखी। इस व्रत का नाम हरतालिका ऐसे पड़ा क्योंकि पार्वती की सहेली उन्हें पिता के घर से हरण कर जंगल में ले गई थी। देवी पार्वती ने मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान लिया था और वह सदैव भगवान शिव की तपस्या में लीन रहतीं थीं। पार्वतीजी के मन की बात जानकर उनकी सखियां उन्हें लेकर घने जंगल में चली गईं। इस तरह सखियों द्वारा उनका हरण कर लेने की वजह से इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत पड़ा। शिव जैसा पति पाने के लिए कुँवारी कन्याएं भी इस व्रत को विधी विधान से करती हैं।
हरतालिका तीज महत्व। — Haritalika Teej Mahtva.
हरतालिका तीज का व्रत हिन्दू धर्म में सबसे बड़ा व्रत माना जाता हैं।खासतौर पर महिलाओं द्वारा यह त्यौहार मनाया जाता हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। और कुंवारी कन्याएं इस व्रत को मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं। मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का पुनर्मिलन हुआ था। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए बहुत तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
हरतालिका तीज कब मनाई जाती है। Haritalika teej ktha
हरितालिका तीज भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाई जाती है।यह आमतौर पर अगस्त – सितम्बर के महीने में ही आती है। इसे गौरी तृतीया व्रत भी कहते हैं। यह इस वर्ष 30 अगस्त को मनाई जाएगी।
हरतालिका तीज व्रत के नियम। — Hartalika Teej Vrat Rules in Hindi.

1-हरतालिका तीज व्रत करने पर इसे छोड़ा नहीं जाता है। प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए।
2-हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है।
3-हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण किया जाता है। रात में भजन-कीर्तन करना चाहिए।
4-हरतालिका तीज पर माता पार्वती और भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
5-हरतालिका तीज व्रत कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। शास्त्रों के अनुसार विधवा स्त्री भी इस व्रत को रख सकती हैं।
6-हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है। यह दिन और रात के मिलन का समय होता है।
7-सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाना इस व्रत की मुख्य परंपरा है।
हरतालिका के व्रत से जुड़ी मान्यताI — Haritalika Teej Manyata .
हरतालिका के व्रत से जुड़ी कई मान्यता हैं, जिनमे इस व्रत के दौरान जो सोती हैं, वो अगले जन्म में अजगर बनती हैं, जो दूध पीती हैं, वो सर्पिनी बनती हैं, जो व्रत नही करती वो विधवा बनती हैं, जो शक्कर खाती हैं मक्खी बनती हैं। जो मांस खाती शेरनी बनती हैं।जो जल पीती हैं वो मछली बनती हैं, जो अन्न खाती हैं वो सुअरी बनती हैं जो फल खाती है वो बकरी बनती हैं। इस प्रकार के कई मत सुनने को मिलते हैं।
हरतालिका तीज पूजन सामग्री (Haritalika Teej Puja Samgri List)
क्रम | पूजन सामग्री |
1. | केले का पत्ता |
2. | धतूरे का फल एवं फूल |
3. | आंक का फूल |
4. | तुलसी |
5. | मंजरी |
6. | जनैऊ |
7. | नाड़ा |
8. | वस्त्र |
9. | सभी प्रकार के फल एवं फूल पत्ते |
10. | श्रीफल |
11. | कलश |
12. | अबीर |
13. | चंदन |
14. | घी-तेल |
15. | कपूर |
16. | कुमकुम |
17. | दीपक |
18. | फुलहरा |
19. | विशेष प्रकार की 16 पत्तियां |
20. | माता गौरी के लिए पूरा सुहाग का सामान जिसमे चूड़ी, बिछिया, काजल ,बिंदी ,कुमकुम, सिंदूर, कंघी ,माहौर, मेहँदी आदि मान्यतानुसार एकत्र की जाती हैंI इसके अलावा बाजारों में सुहाग पुड़ा मिलता हैं, जिसमे सभी सामग्री होती है। |
21. | गीली काली मिट्टी या बालू रेत। |
22. | बेलपत्र |
23. | शमी पत्र |
हरतालिका तीज की पूजाविधिI — Haritalika Teej Puja Vidhi

- हरतालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता हैं, प्रदोष काल अर्थात दिन रात के मिलने का समय।
2.हरतालिका पूजन के लिए शिव, पार्वती एवं गणेश जी की प्रतिमा बालू रेत अथवा काली मिट्टी से हाथों से बनाई जाती हैं।
3. फुलेरा बनाकर उसे सजाया जाता हैं। उसके भीतर रंगोली डालकर उस पर पट्टा अथवा चौकी रखी जाती हैं।
4. चौकी पर एक सातिया बनाकर उस पर थाल रखते हैं। उस थाल में केले के पत्ते को रखते हैं।
5. तीनो प्रतिमा को केले के पत्ते पर आसीत किया जाता हैं। सर्वप्रथम कलश बनाया जाता हैं जिसमे एक लोटा अथवा घड़ा लेते हैं। उसके उपर श्रीफल रखते हैं। अथवा एक दीपक जलाकर रखते हैं। घड़े के मुंह पर लाल नाडा बाँधते हैं।घड़े पर सातिया बनाकर उर पर अक्षत चढ़ाया जाता हैं।
6. कलश का पूजन किया जाता हैं।सबसे पहले जल चढ़ाते हैं, नाडा बाँधते हैं।कुमकुम, हल्दी चावल चढ़ाते हैं फिर पुष्प चढ़ाते हैं। उसके बाद शिव जी की पूजा जी जाती हैं।
7. कलश के बाद गणेश जी की पूजा की जाती हैं।उसके बाद माता गौरी की पूजा की जाती हैं।उन्हें सम्पूर्ण श्रृंगार चढ़ाया जाता हैं।
8. इसके बाद हरतालिका की कथा पढ़ी जाती हैं. फिर सभी की मिलकर आरती की जाती है।जिसमे सर्प्रथम गणेश जी कि आरती फिर शिव जी की आरती फिर माता गौरी की आरती की जाती हैं।
9. पूजा के बाद भगवान की परिक्रमा की जाती हैं। रात भर जागकर पांच पूजा एवं आरती की जाती हैं।
10. सुबह आखरी पूजा के बाद माता गौरा को जो सिंदूर चढ़ाया जाता हैं उस सिंदूर से सुहागन स्त्री सुहाग लेती हैं।
11. ककड़ी एवं हलवे का भोग लगाया जाता हैं। उसी ककड़ी को खाकर उपवास तोडा जाता हैं।
12. अंत में सभी सामग्री को एकत्र कर पवित्र नदी एवं कुण्ड में विसर्जित किया जाता हैं ।
हरतालिका तीज पर पूजा के समय पढ़े जाने वाले मंत्र। –Haritalika Teej Mantra.
हरतालिका तीज में भगवान शिव का मंत्रI — Haritalika Teej Shiv Mantra.
ओम नम: शिवाय। ओम हराय नम:। ओम महेश्वराय नम:। ओम शम्भवे नम:। ओम शूलपाणये नम:। ओम पिनाकवृषे नम:। ओम पशुपतये नम:।
हरतालिका तीज में माता पार्वती का मंत्रI –Haritalika Teej Parvati Mantra.
तीज व्रत की पूजा के समय माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए उनके इस मंत्र का उच्चारण करें और उनको सुहाग की सामग्री आदि अर्पित करें।
ओम शिवाये नम:। ओम उमाये नम:। ओम पार्वत्यै नम:। ओम जगद्धात्रयै नम:। ओम जगत्प्रतिष्ठायै नम:। शांतिरूपिण्यै नम:।
हरतालिका तीज व्रत कथा (Hartalika Teej Vrat Katha or Story)

यह व्रत अच्छे पति की कामना से एवं पति की लम्बी उम्र के लिए किया जाता हैं। शिव जी ने माता पार्वती को विस्तार से इस व्रत का महत्व समझाया – माता गौरा ने सती के बाद हिमालय के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। बचपन से ही पार्वती भगवान शिव को वर के रूप में चाहती थी, जिसके लिए पार्वती जी ने कठोर ताप किया उन्होंने कड़कती ठण्ड में पानी में खड़े रहकर, गर्मी में यज्ञ के सामने बैठकर यज्ञ किया। बारिश में जल में रहकर कठोर तपस्या की, बारह वर्षो तक निराहार पत्तो को खाकर पार्वती जी ने व्रत किया।
उनकी इस निष्ठा से प्रभावित होकर भगवान् विष्णु ने हिमालय से पार्वती जी का हाथ विवाह हेतु माँगा। जिससे हिमालय बहुत प्रसन्न हुए, और पार्वती को विवाह की बात बताई। जिससे पार्वती दुखी हो गई, और अपनी व्यथा सखी से कही और जीवन त्याग देने की बात कहने लगी। जिस पर सखी ने कहा यह वक्त ऐसी सोच का नहीं हैं और सखी पार्वती को हर कर वन में ले गई। जहाँ पार्वती ने छिपकर तपस्या की, जहाँ पार्वती को शिव ने आशीवाद दिया और पति रूप में मिलने का वर दिया।
हिमालय ने बहुत खोजा पर पार्वती ना मिली। बहुत वक्त बाद जब पार्वती मिली तब हिमालय ने इस दुःख एवं तपस्या का कारण पूछा तब पार्वती ने अपने दिल की बात पिता से कही, इसके बाद पुत्री हठ के करण पिता हिमालय ने पार्वती का विवाह शिव जी से तय किया।
हरतालिका तीज व्रत का पारण। — Hartalika Teej Paran.

अगले दिन सुबह पूजा के बाद जल पीकर पारण का विधान है। इस दिन व्रत रखकर रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन और भगवान का ध्यान किया जाता है। अगले दिन सुबह पूजा के बाद किसी सुहागिन स्त्री को श्रृंगार का सामान, वस्त्र, खाने की चीजें, फल, मिठाई आदि दान करना शुभदायी होता है।
FAQ
हरतालिका तीज व्रत 2023 में कब है ?

हरतालिका तीज 18 सितम्बर 2023 सोमवार के दिन है।
हरतालिका तीज व्रत का 2023 में शुभ मुहूर्त क्या है?

हरतालिका तीज व्रत का शुभ मुहूर्त शाम 6:33 बजे से 8:51 बजे तक।
हरतालिका तीज व्रत कब रखा जाता है ?

हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है।
हरतालिका क्या है?

हरतालिका दो शब्दों से बना है, हर और तालिका। हर का अर्थ है हरण करना और तालिका अर्थात सखी।
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